मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् के लिये मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् भोपाल द्वारा अपने के 69 वर्ष पूर्ण कर लेना अत्यन्त गौरव का विषय है। इसके लिये परिषद के सभी सदस्यों को कोटि-कोटि बधाई, धन्यवाद एवं शुभकामनायें। यह सर्वविदित है कि स्वयं सेवी संस्थाओं को अत्यंत कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है। अतः स्पष्ट है कि इतिहास शोध के क्षेत्र में परिषद् की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।
नवीन मध्यप्रदेश के गठन के तुरन्त बाद 2 दिसम्बर 1956 को इतिहास के शोध में रुचि रखने वाले विद्वानों ने मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का गठन किया। तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने इसका अध्यक्ष तथा डॉ. काटजू मुख्यमंत्री ने संरक्षक बनना स्वीकार किया।
अप्रैल 1957 में परिषद् का प्रथम अधिवेशन भोपाल में आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन डॉ. पट्टाभि सीतारमैया ने और अध्यक्षता डॉ. व्ही.व्ही. मिराशी ने की। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के इतिहास की खोई हुई कड़ियां विषय पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ था।
परिषद् का द्वितीय अधिवेशन भोपाल में जुलाई 1958 को आयोजित किया गया था उद्घाटन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने तथा अध्यक्षता राज्यपाल श्री एच. व्ही. पाटसकर ने की थी। इस अवसर पर नर्मदा एवं चम्बल घाटियों का प्रागैतिहासिक एवं आद्यैतिहासिक पुरातत्व विषय पर डॉ. एच. डी. सांकलिया द्वारा महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया गया। परिषद् के तृतीय अधिवेशन की अध्यक्षता डॉ. आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव ने की। इतिहासकार प्रो. मो. हबीब की अध्यक्षता में चौथा अधिवेशन नवम्बर 1961 में भोपाल में आयोजित किया गया।
वर्ष 1968 में परिषद् का पांचवा अधिवेशन पुनः भोपाल में आयोजित किया गया। इसका उद्घाटन आचार्य जे. बी. कृपलानी ने तथा अध्यक्षता प्रो. श्रीराम शर्मा ने की। छठा अधिवेशन भी भोपाल में अप्रैल 1969 को आयोजित हुआ। इसका उद्घाटन साम्यवादी नेता श्री श्रीपाद अमृत डांगे द्वारा किया गया। इसके पश्चात् के दो और अधिवेशन भोपाल में आयोजित किये गये जिनकी अध्यक्षता डॉ. हरिराम गुप्ता तथा प्रो. ए. एल. बाशम जैसे सुप्रसिद्ध इतिहासकारों ने की। इस अधिवेशन का उद्घाटन जस्टिस जे. एम. शेलट ने किया।
सन् 1974 में मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् में एक नया मोड़ आया। इस समय तक भोपाल नगर जहां कि परिषद् का स्थायी मुख्यालय है, में ही इसके आठों अधिवेशन आयोजित किये गये थे। इतिहास के अध्ययन एवं शोध के लिये परिषद् को व्यापक स्वरुप प्रदान करने के विचार से निर्णय लिया गया कि इसके वार्षिक अधिवेशन राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित किये जायें। अतः नवां अधिवेशन जबलपुर विश्वविद्यालय के तत्वावधान में दिसम्बर 1974 में जबलपुर में करना इस दिशा में प्रथम प्रयास था। सीतामऊ के महाराजकुमार डॉ. रघुवीर सिंह ने इसकी अध्यक्षता की।
दसवां अधिवेशन मार्च 1976 में इन्द्रा कला संगीत विश्वविद्यालय के तत्वावधान में खैरागढ़ में सम्पन्न हुआ। परिषद् का 11 वां अधिवेशन अप्रैल 1977 में पुनः भोपाल में आयोजित किया गया। भारतीय पुरातत्वीय सर्वेक्षण के महानिदेशक श्री एम.एन. देशपांडे ने इसकी अध्यक्षता की। श्री श्यामाचरण शुक्ल मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश ने इसका उद्घाटन किया। 12 वां अधिवेशन इन्दौर में मार्च 1978 में आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता डॉ. हीरालाल गुप्ता ने की। तेरहवां अधिवेशन मार्च 1979 में श्री नटनागर शोध संस्थान के तत्वावधान में सीतामऊ में आयोजित किया गया। प्रो. बी. एन. लूनिया ने इसकी अध्यक्षता की और उद्घाटन श्री लक्ष्मी नारायण यादव, शिक्षामंत्री ने किया। अप्रैल 1980 में जीवाजी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में परिषद् का 14 वां अधिवेशन ग्वालियर में आयोजित किया गया। उद्घाटन डॉ. रघुवीरसिंह तथा अध्यक्षता डॉ. एच. व्ही. त्रिवेदी ने की।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् द्वारा अपनी समर्पित सेवा के 25 वर्ष पूर्ण कर लेने के शुभ अवसर पर रजत जयन्ती अधिवेशन भोपाल में ही, भोपाल विश्वविद्यालय के तत्वावधान में, मार्च 1982 में आयोजित किया गया।
परिषद् का 16 वां अधिवेशन रायपुर में रविशंकर विश्वविद्यालय द्वारा अक्टूबर 1984 को बुलाया गया। उद्घाटन म.प्र. के राज्यपाल प्रो. के. एम. चांडी तथा अध्यक्षता प्रो. ए. एच. निजामी ने की। प्रो. रोमिला थापर ने इस अवसर पर एक आलेख का वाचन किया। 17 वां अधिवेशन मंडला में दिसम्बर 1985 में माहिष्मती शोध संस्थान द्वारा आयोजित हुआ था। इसकी अध्यक्षता पं. सुन्दरलाल त्रिपाठी ने की। 18 वां अधिवेशन जनवरी 1987 में पं. सुन्दरलाल त्रिपाठी के आमंत्रण पर जगदलपुर में आयोजित किया गया जिसमें सुश्री कपिला वात्स्यायन विशेष अतिथि थीं। उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री श्री गिरधर गोमांगो ने किया था। 19 वां अधिवेशन डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के आमंत्रण पर मार्च 1990 को सागर में किया गया था। अध्यक्षता डॉ. व्ही. एस. पाठक ने की थी। बीसवाँ अधिवेशन मार्च 1991 को बिलासपुर में आयोजित किया गया था। अध्यक्षता डॉ. एस. पी. गुप्ता ने की थी। 21 वां अधिवेशन अप्रैल 1992 को इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ. आनन्द मिश्र के अमंत्रण पर डबरा में आयोजित किया गया। 22 वां अधिवेशन माहिष्मती शोध संस्थान के आमंत्रण पर जनवरी 1995 को पुनः मण्डला में हुआ। अध्यक्षता डॉ. आर. के. शर्मा ने की।
परिषद् का 23 वां अधिवेशन जनवरी 1996 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के तत्वावधान में एक बार फिर जबलपुर में आयोजित किया गया। अध्यक्षता श्री एस. के. पाण्डेय ने तथा उद्घाटन शिक्षा मंत्री श्री रवीन्द्र चौबे ने किया। 24 वां अधिवेशन मार्च 1998 को सागर विश्वविद्यालय में हुआ। अध्यक्षता डॉ. एम. ए. खान और उद्घाटन श्री शिव कुमार श्रीवास्तव कुलपति ने किया। 25 वां अधिवेशन मार्च 2002 में मानकुंवर बाई महिला महाविद्यालय के आमंत्रण पर जबलपुर में आयोजित किया गया। अध्यक्षता डॉ. के. एल.श्रीमाली ने की। 26 वां अधिवेशन जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर में मार्च 2004 में हुआ। अध्यक्षता डॉ. विदुला जायसवाल ने की। 27 वां अधिवेशन मण्डला में मार्च 2006 में सम्पन्न हुआ। अध्यक्ष थे श्री अरुध सोनकिया।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् द्वारा पुरातत्व तथा इतिहास के शोध में निरंतर सेवा के 50 वर्ष पूर्ण करने पर स्वर्ण जयंती अधिवेशन जबलपुर में फरवरी 2008 में सम्पन्न हुआ। अधिवेशन को सुप्रसिद्ध चिन्तक जस्टिस चंद्रशेखर धर्माधिकारी ने सम्बोधित किया।
परिषद् का 29 वां अधिवेशन शासकीय कमलाराजा कन्या स्वशासी महाविद्यालय, ग्वालियर में आयोजित किया गया जिसमें अध्यक्ष श्री शीतला सहाय थे। बीज वक्ता डॉ. सुनीता जैदी रहीं एवं स्थानीय सचिव डॉ.मीना श्रीवास्तव थीं।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 30 वां अधिवेशन फरवरी 2011 में डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर के तत्वावधान में आयोजित हुआ जिसके स्थानीय सचिव प्रोफेसर नवीन गिडियन, एवं बीज वक्ता प्रो. बी. एल. भादानी, अध्यक्ष, इतिहास विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ थे। अधिवेशन के अध्यक्ष माननीय श्री एस. एन. गजभिये कुलपति, डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर थे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 31 वां अधिवेशन नवम्बर 2011 में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में हुआ जिसके स्थानीय सचिव स्वर्गीय डॉ. राम कुमार अहिरवार एवं बीज वक्ता डॉ. मारूती नंदन प्रसाद तिवारी थे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 32 वां अधिवेशन फरवरी 2013 में शासकीय एम.एल.बी. महाविद्यालय, भोपाल में हुआ जिसकी स्थानीय सचिव डॉ. अमिता सिंह एवं बीज वक्ता प्रो. एस. आर. मल्होत्रा, सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज, शिमला थे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 33 वां अधिवेशन फरवरी 2014 में शासकीय महाविद्यालय, रीवा में हुआ जिसकी स्थानीय सचिव डॉ. विभा श्रीवास्तव एवं बीज वक्ता डॉ. एस.डी. गुरू थे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 34 वां अधिवेशन फरवरी 2014 में शासकीय सरोजनी नायडू कन्या महाविद्यालय, भोपाल में हुआ जिसके स्थानीय सचिव डॉ. अनिल दुबे एवं बीज वक्ता डॉ. रहमान अली थे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 35 वां अधिवेशन फरवरी 2016 में शासकीय बुन्देलखण्ड इतिहास परिषद, सागर के तत्वाधान में सागर में हुआ जिसके स्थानीय सचिव डॉ. बी. के. श्रीवास्तव थे एवं मुख्य अतिथि डॉ. सुनीता जैदी थीं।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 36 वां अधिवेशन फरवरी 2017 में विद्या कैरियर रिसर्च फाउंडेशन पन्ना के तत्वाधान में पन्ना में हुआ जिसके स्थानीय सचिव डॉ. विनय श्रीवास्तव एवं बीज वकता प्रो. इनायत जैदी जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली थे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 37 वां अधिवेशन फरवरी 2019 में शासकीय मानकुंवर बाई कन्या महाविद्यालय, जबलपुर में हुआ जिसके स्थानीय सचिव डॉ. वन्दना गुप्ता एवं बीज वक्ता प्रो. मुकेश कुमार गया विश्वविद्यालय, गया थे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 38 वां अधिवेशन फरवरी 2020 में शासकीय हमीदिया महाविद्यालय, भोपाल में हुआ जिसके स्थानीय सचिव डॉ. अनिल दुबे एवं बीज वक्ता प्रो. डी. सी. शर्मा थे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 39 वां अधिवेशन फरवरी 2021 में डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर में हुआ जिसके स्थानीय सचिव डॉ. पंकज सिंह एवं बीज वक्ता प्रो. आभा रूपेन्द्र पाल थीं।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 40 वां अधिवेशन 24 से 26 मार्च 2023 को प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के तत्वावधान में आयोजित किया गया जिसमें अध्यक्षता प्रो. अविनाश तिवारी कुलपति जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर ने की एवं अधिवेशन के मुख्य वक्ता पद्मश्री के. के. मुहम्मद पूर्व क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय पुरातत्व विभाग नई दिल्ली थे। इस अधिवेशन के स्थानीय सचिव प्रो. शन्तिदेव सिसोदिया प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर रहे।
मध्यप्रदेश इतिहास परिषद् का 41 वां अधिवेशन 27-28 फरवरी 2025 को इतिहास विभाग, शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्टता महाविद्यालय, सागर के तत्वावधान में आयोजित किया गया जिसमें बीज वक्ता प्रो. संतोष कुमार शुक्ला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली थे। अध्यक्षता प्रो. विनोद कुमार मिश्रा, कुलपति रानी अवन्तीबाई विश्वविद्यालय सागर ने की। इस अधिवेशन के आयोजन सचिव प्रो. नवीन गिडियन, अध्यक्ष इतिहास विभाग, शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्टता महाविद्यालय, सागर रहे तथा स्थानीय सचिव डॉ. पंकज सिंह इतिहास विभाग डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर थे।
Session-of-madhya-pradesh-history-council
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“This is not a museum'. Magritte might have said of here. If it were a museum We would stand for Museum of Many Artists. MoMa curates UK art and international artists. While a museum displays curated work on museum”
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